सत्यपाल गुलाठी बताते हैं कि बंटवारे ने जो दर्द दिया उसकी दवा भारत में मिली। हम रिफ्यूजी नहीं हैं। हम भारत के नागरिक हैं। उधर, तत्कालीन सरकार ने बुलंदशहर में बंटवारे के दौरान सरहद पार से आए लोगों को बसाने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए काली नदी रोड सुभाष बाजार की स्थापना कर 48 दुकानें बनाकर दी थी। आज भी इस मार्केट को लोग सुभाष शरणार्थी मार्केट के नाम से जानते हैं।

शक के आधार पर महिला का घर घेरा, मामला दर्ज

खरौंधी:थानाक्षेत्रकेअरंगीपंचायतकेगटियरवागांवमेंसोमवारकीरातमेंग्रामीणोंद्वाराएकघरकोघेरनेकामामलाप्रकाशमेंआयाहै।बतायाजारहाह

नामजद अभियुक्तों के घर पर चिपका इश्तेहार

जामा:जामाथानाकेअंतर्गतबारापलासीरेलवेस्टेशनकेपासबीतेदिनउग्रभीड़द्वाराएकविक्षिप्तकोपीट-पीटकरहत्याकरदेनेकेमामलेमेंबुधवारकोथा