[केसीत्यागी ]:आमचुनावकीघोषणाकेसाथहीसंसदऔरविधानसभाओंमेंमहिलाओंको33फीसदआरक्षणदेनेकेमुद्देपरओडिशाऔरपश्चिमबंगालकेकुछदलोंनेअमलकरनेकीपहलकीहै।इसकास्वागतहै।इसीतरहदेशकेकिसानभीचुनावमेंअपनेसवालोंकीभागीदारीकोलेकरआसलगाएबैठेहैंऔरआशाएवंविश्वाससेसभीगतिविधियोंपरनजरलगाएहुएहैं।हालांकिबीतेलगभगदो-तीनदशकोंकेदौरानकृषिऔरकृषकोंकेसवालोंकोलेकरसमय-समयपरआंदोलनहुएहैैंऔरनि:संदेहइसमेंकुछसुधारभीहुएहैैं।हालमेंभीकिसानोंनेविरोध-प्रदर्शनकेजरियेअपनीआवाजमुखरकीहै।बावजूदइसकेकृषिकोबदहालीसेनिकालनेकेलिएअभीबहुतकुछकियाजानाशेषहै।
गेहूंऔरचावलका बड़ाउत्पादकदेश
एकसमयथाजबदेशपीएल-480गेहूंखानेकोमजबूरथाऔरआजकिसानोंएवंकृषिवैज्ञानिकोंकेअथकप्रयासोंकेबादभारतगेहूंऔरचावलकादूसराबड़ाउत्पादकदेशहै।दाल,गेहूं,चीनीआदिकेउत्पादनमेंभीदेशअग्र्रणीहै।इसकेबावजूददेशकाकृषकवर्गसामाजिक-आर्थिकऔरविकासकेकईमानकोंपरकाफीपीछेहै।शिक्षा,चिकित्सा,आवासआदिसुविधाओंमेंकमीसमेतउनकीसंपूर्णजीवनशैलीमेंपिछड़ापनव्याप्तहै।आधारभूतजरूरतोंकाअभावऔरप्राकृतिक-कृत्रिमआपदाओंकेकारणफसलोंकानष्टहोजानाउनकीमानसिक-आर्थिकतंगीकीबड़ीवजहहै।कर्जकेनिरंतरबढ़तेबोझकेकारणकिसानोंद्वाराआत्महत्यापरेशानकरतीरहीहै।
कृषिकाघटतारकबा
दिनोंदिनकृषिकाघटतारकबाभीचिंताजनकहै।पिछलेचारदशकोंकेदौरानकृषिकीवास्तविकआयमेंआईकमीसबकलेनेयोग्यहै।आर्थिकसहयोगसंगठनकेएकअध्ययनकेअनुसारपिछले17वर्षोंमेंउपजकीकीमतकममिलनेकेकारणकिसानोंकोकरीब45लाखकरोड़रुपयेकानुकसानहुआहै।एकऔररिपोर्टकेअनुसारहालकीकृषिआयअपनेसबसेनिचलेपायदानपररहीहै।इसक्षेत्रमेंसार्वजनिकएवंनिजीदोनोंतरहकेकुलनिवेशमेंनिरंतरगिरावटदर्जकीगईहै।जैसेकि2011-12मेंनिवेशजीडीपीकातीनफीसदथाजो2016-17मेंघटकर2.2फीसदरहगया।ऐसीसूरतमेंकृषिकीबदहालीकीअबऔरअनदेखीनहींहोसकती।
342लोकसभाकीसीटेंग्रामीणक्षेत्रमेंहैं
2011कीजनगणनाकेअनुसारदेशमेंकुल542मेंसेमात्र57संसदीयसीटेंशहरीक्षेत्रोंमेंऔरशेष144अर्ध-शहरीएवं342ग्रामीणसीटेंहैं।इसकेबावजूदयहवर्गअबतकराजनीतिकअनदेखीकाशिकाररहाहै।हालांकिराहतकीबातयहहैकिअबकृषिऔरकृषकोंकीसमस्याएंराजनीतिकविमर्शकाविषयबननेलगीहैं।आर्थिकसुधारोंकेबादबाजारवादकेदौरमेंखेतीऔरकिसानअप्रासंगिकहोतेगएजोसमकालीनराजनीतिमेंपुन:मुखरहुएहैैं।गतदिसंबरमेंतीनराज्योंकेचुनावीनतीजेऔरकांग्र्रेसकीकर्जमाफीनीतिइसकेताजाउदाहरणहैं।अबकेंद्रमेंसरकारआनेपरदेशमेंकर्जमाफीकावादाचर्चामेंहै।पिछलेलोकसभाचुनावोंमेंकृषकवर्गकाबड़ासहयोगमौजूदासत्तारूढ़राष्ट्रीयजनतांत्रिकगठबंधनयानीराजगकोमिलाथा।
कर्जमाफीस्थायीसमाधाननहीं
इसमेंदोरायनहींकिराजगसरकारद्वाराकिसानहितमेंकईबड़ेफैसलेलिएगए।चुनावीलाभकेलिएहीसही,अबतककीसरकारेंकर्जमाफीऔरकर्जकीसीमाबढ़ाकरकिसानोंकीवाहवाहीएवंसमर्थनलूटतीरहीहैैं।नि:सदेहकर्जमाफीस्थायीसमाधाननहींहै,क्योंकिपंजाबमेंकर्जमाफीकेबावजूदपिछलेएकवर्षमें430किसानोंद्वाराआत्महत्याकीजानेकीखबरहै।यहपहलीबारहैजबआमबजटमेंछोटेकिसानोंकोसालाना6,000रुपयेकेसहयोगसेउनकीआयकोएकआकारदेनेकाकामहुआहै।वहींन्यूनतमसमर्थनमूल्ययानीएमएसपीमेंभी50फीसदकीबढ़ोतरीमोदीसरकारकीउपलब्धिरही।हालांकिमौजूदाघोषितएमएसपीए-2एफएलप्रणालीसेनिर्धारितहै,जबकिस्वामीनाथनआयोगकेअनुसारसी-2फॉर्मूलेसेनिर्धारितएमएसपीकिसानएवंउनकेसंगठनोंकीमांगरहीहै।
किसानहितोंकीअनदेखी
अबकिसानहितोंकीअनदेखीकिसीभीदलकोमहंगीपड़ेगी।अबप्रत्येकदलकोकृषिकोलेकरअपनाएजेंडास्पष्टकरनाहोगा।जिसतरहसे1951मेंएकऔद्योगिकनीतितैयारकीगईथी,उसीतरहकीएकराष्ट्रीयकृषिनीतिक्योंनहींहोसकती?एमएसपीतयकरनेकामौजूदात्रुटिपूर्णतरीकाक्योंनहींबदलाजासकता?तयएमएसपीनमिलनेपरसजायाजुर्मानेकाप्रावधानक्योंनहींहोनाचाहिए?किसीभीवर्षकोमानकवर्षमानकरउसकेसमानुपातमेंकृषिउत्पादकेदामतयहोनेचाहिए।प्रत्येकवर्षगन्नाकिसानोंकोभुगतानकेलिएमिलोंकेचक्करकाटनेपड़तेहैं।इसदिशामेंअबतककाकानून-शुगरकेनऑर्डरविफलसाबितहुआहै।
खेतीकोस्थायीपेशा
खेतीकोआर्थिकरूपसेस्थायीपेशाबनाएजानेकीकवायददेशकीआर्थिकीकोमजबूतऔरआत्मनिर्भरहीबनाएगी।इसकेलिएसिंचाईसुविधा,उत्पादनलागतपरकाबूपाना,बिजलीएवंसड़ककीसुविधातथासबसेमहत्वपूर्णकिसानोंकोअपनीफसलअपनेअनुकूलसमय,मात्राएवंजगहसेबेचनेकीस्वतंत्रताउन्हेंसशक्तकरेंगी।जबऔद्योगिकउत्पादोंपरऐसीबंदिशेंनहींहैैंतोकृषिउत्पादोंपरक्यों?आएदिनकिसानोंद्वाराआक्रोशितहोकरसड़कोंपरअपनेउत्पादफेंकनेकीखबरेंसुर्खियांबनतीहैं।यहांभीबिचौलियोंकाबाजारहीगर्महोताहै।स्पष्टहैकिखेतीमेंतकनीकीकेइस्तेमालसेशारीरिकश्रमकमहोगा।इससेखेतीकेप्रतिआकर्षणकेसाथहीबुआई-कटाईसमयकमहोजाएगा।सस्तेकर्ज,सब्सिडीआदिप्रोत्साहनोंसेइसमेंनिवेशबढ़ायाजासकताहै।
हास्यास्पद मुआवजा
इसीतरहक्षतिकाआकलनभीएकबड़ीसमस्याबनरहीहै।कईबारहास्यास्पदराशिमुआवजेकेरूपमेंमिलतीहै।रिमोटसेंसिंगकेजरियेआकलनकर30दिनोंकेभीतरबीमाकाभुगतानकिसानोंकेहितमेंहोगा।भंडारणक्षमताबढ़ानासरकारकेलिएबड़ीचुनौतीहै।चाय,कॉफी,रबर,तंबाकू,मछलीपालनआदिकेमौजूदाकमोडिटीबोर्डमेंकिसानोंकीभीभागीदारीहोनीचाहिए।ट्रांसपोर्टइंफ्रास्ट्रक्चर,कोल्डस्टोरेज,वेयरहाउसिंगतथाप्रोसेसिंगकेलिएभारीनिवेशकीआवश्यकताहै।इनकेअभावमेंप्रतिवर्षहजारोंटनअनाजसड़-गलजातेहैंऔरमौसमीफल-सब्जियांलागतमूल्यभीनहींनिकालपातीं।
नेशनलइरिगेशनहाईवे
बढ़तीमहंगाईकेअनुरूपएकतयआयुसीमाकेबादकिसानोंकोपेंशन,प्रधानमंत्रीबीमायोजनाकापूराप्रीमियमतथाट्यूबवेलसेसिंचाईकीस्थितिमेंनि:शुल्कबिजलीआदिकीव्यवस्थाएंकिसानवर्गकोआकर्षितकरेंगी।वहींनेशनलहाईवेकीतर्जपरनेशनलइरिगेशनहाईवेकीव्यवस्थादूसरीहरितक्रांतिकोजन्मदेसकतीहै।
(लेखकजदयूकेराष्ट्रीयप्रवक्ताहैं)