जागरणसंवाददाता,चतरा:भारतीयखादनिगमयहांकेकिसानोंकोछलरहीहै।चतराजिलेमेंसरकारीस्तरपरधानकीखरीदभारतीयखादनिगमकोकरनीहै।एफसीआइनेइसकेलिएप्रखंडस्तरपरएक-एककेंद्रखोलनेकीसहमतिदीथी।जिसकेतहततैयारियांशुरूकरदीगईथी।चूंकिनौदिसंबरसेधानक्रयकेंद्रोंकाखोलनाथा।लेकिनइसीबीचसातदिसंबरकोभारतीयखादनिगमकेअधिकारियोंनेउपायुक्तकोपत्रलिखबतायाकिवेफिलहालसभीकेंद्रोंकासंचालननहींकरपाएंगे।ऐसेमेंबारहमेंसेसातकेंद्रोंकोहीवर्तमानसमयमेंखोलनेमेंसक्षमहै।किसानोंकीस्थितिकोदेखतेहुएउपायुक्तनेइसकीअनुमतिप्रदानकरदी।लेकिनउसकेदूसरेहीदिनसरकारनेक्रयपररोकलगादिया।अबयहआशंकाजताईजारहीहैकि15दिसंबरसेकेंद्रखुलसकतेहैं।ऐसेमेंसवालउठताहैकिसातकेंद्रोंमेंकिसानकितनाधानबेचपाएंगे।धानबेचनेकेलिएकिसानोंकोपहलेनिबंधनकरनापड़ताहै।नौदिसंबरतकजिलेके13,302किसानोंनेजिलाआपूर्तिकार्यालयमेंनिबंधनकराचुकेथेऔरकरीबनौसौआवेदनोंकोनिबंधनकेलिएप्रक्रियाकीजारहीथी।इसबारधानकाबंपरउपजहुआहै।
जानकारोंकामाने,तोदोदशकमेंपहलीबारइतनाबंपरखेतीहुईहै।इतनाहीनहीं,इसबारधानकीपैदावारीसमयपरहुईहै।दुर्गापूजाकेसमयसेधानकटनीशुरूहोगईथी।नब्बेप्रतिशतधानकटनीहोचुकीहै।मगरसरकारीस्तरपरधानकाक्रयप्रारंभनहींहुआहै।प्रशासनिकअधिकारीपिछलेसालकाउदाहरणदेकरकिसानोंकीजुबानबंदकरदेरहेहैं।शायदउन्हेंयहजानकारीनहींहैकिपिछलेसालविधानसभाकाचुनावकेकारणधानक्रयविलंबसेशुरूहुआथा।28दिसंबरकोनईसरकारकागठनहुआथा।गठनकेबादसरकारनेधानक्रयकाआदेशदियाथा।इसबारतोस्थितिसामान्यहै।फिरकिसानोंकेसाथइसप्रकारकाव्यवहारक्यों।सरकारकेइसरवैयेसेकिसानोंमेंखासेनाराजगीहै।सदरप्रखंडकेकृषकप्रमोददांगीकहतेहैंकिसरकारकीनीतिऔरनियतदोनोंअलग-अलगहै।एकतरफधानक्रयकाबेहतरसमर्थनमूल्यनिर्धारितकियाहै,तोदूसरीओरसमयपरधानकीखरीदारीनहींकररहीहै।समर्थनमूल्यकेनिर्धारणसेकिसानोंकापेटनहींभरजाएगा।सरकारधानकोसमयपरनहींखरीदतीहै,तबकिसानलाचारहोकरबिचौलियोंकेहाथोंबेचेंगे।वर्तमानसमयमेंयहीहोरहाहै।
धानकाक्रयभारतीयखादनिगमकोकरनाहै।निगमकेअधिकारियोंनेपहलेबारहकेंद्रोंपरक्रयकरनेकीस्वीकृतिदीथी।लेकिनबादमेंवेसातकेंद्रोंकोशुरूकरनेवालेथे।यहसातोंकेंद्रनौदिसंबरसेशुरूहोनेवालेथे।लेकिनसरकारनेइसपररोकलगादियाहै।
विपिनदुबे,जिलाआपूर्तिपदाधिकारी,चतरा।