कोरोनाकेसंक्रमणकालमेंगांवसेशहरकमाईकरनेगएकामगारोंकेअरमानोंपरपानीफिरगया।घरसेयहीसोचकरकरनिकलेथेकिशहरजाकरकमाएंगेऔरअपनेबच्चोंकीअच्छीपरवरिशकरेंगे।लेकिनलॉकडाउनमेंउनकेअरमानोंपरपानीफिरगया।वेयहसोचकरअपनेगांवलौटआएकिअबशहरकादाना-पानीनहींबदाहै।गांवमेंहीकुछकरकेपरिवारकीदेखभालकरेंगे।
लॉकडाउनमेंकामकाजठपहोगए।ऐसेमेंमकानमालिककोकिरायादेनेतककापैसानहींबचा।समयकेसाथदिक्कतेबढ़नेलगीं।ऐसेमेंफिरसेअपनेगांवकीयादआई।सिराथूतहसीलक्षेत्रकेफूलसिंहबतातेहैंकिजबवहगांवसेदिल्लीगएथेतोअच्छीकमाईकरबच्चोंकोअच्छीशिक्षादिलानेकासंकल्पलियाथा।घरबनवानेमेंकर्जलियाउसेजल्दभरदेंगे।दिव्यांगपुत्रवपुत्रीकाऑपरेशनकराकरउन्हेंकाबिलबनाएंगे।इसकेलिएदिल्लीजाकरटैक्सीचलानाशुरूकिया।लेकिन,कोरोनाकेकहरनेएकदमसेसबकुछबदलदिया।एकमहीनेकिसीतरहकाटलिए।इसकेबाददिक्कतहोनेलगी।जोसपनासंजोकरदिल्लीगएथे,वहबिखरगया।घरजानेकाकोईसाधननतोपैदलहीनापदियादोदिनतकचलनेकेबादशरीरजवाबदेनेलगा।रास्तेमेएकट्रकवालेनेसहारादियाऔरकानपुरतकछोड़ा।वहांसेपैदलगृहजनपदपहुंचे।पत्नीरीतादेवी,आठसालकेबेटेमयंक,दोसालकीबेटीचाहतकीआंखोंमेंआंसूदेखकरनिश्चयकियाअबदोबाराशहरनहीजाऊंगा।जिलेमेंहीगाड़ीचलाकरपरिवारकीदेखभालकरूंगा।उनकेपैरकाऑपरेशनकराकरअच्छीशिक्षादिलानेकाप्रयासकरूंगा।