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[ एनकेसिंह]:बीतेदिनोंइंटरनेटमीडियापरएकफोटोवायरलहुई,जिसमेंबिहारकेएकगांवमेंएकझोपड़ीकेबाहरस्वास्थ्यउप-केंद्रकाकटा-फटाबोर्डलगाहैऔरवहांकुछजानवरबंधेहैं।यहउप-केंद्रयहांपिछले30वर्षोंसेहै।यहांकीजनतानेआधादर्जनसेज्यादाबारदेशऔरराज्यकीसरकारेंचुनीं,कईबारअपनाग्रामप्रधान,ब्लॉकप्रमुखऔरजिलापंचायतचुना,लेकिनइसकेंद्रकीबदहाली,डॉक्टरयादवाकानउपलब्धहोनकभीभीमुद्दानहींबना।उत्तरभारतकेकिसीअन्यगांवकीभीकमोबेशयहीस्थितिहै।देशकीराजधानीसेसटेगाजियाबादकेइंदिरापुरमइलाकेमेंभीएकसामुदायिकस्वास्थ्यकेंद्रगांवकेएककिरायेकेमकानमेंहै,जहांजानेकारास्तादुर्गमहै।सरकारीयोजनाओंमेंकागजोंपरजारीत्रि-स्तरीयचिकित्सासेवाकेतहतदेशभरमेंडॉक्टरोंकीनियुक्तितोहै,परवेछठे-छमाहीदर्शनदेतेहैं,बाकिसमयघरपरप्रैक्टिसकरतेहैं।

कोरोनाकीतीसरीलहरकीदहशतलोगोंकेदिलो-दिमागकोकुंदकररही

इसबीचकोरोनाकीदूसरीलहरकीविभीषिकापहलीसेभीज्यादारहीऔरतीसरीलहरकीदहशतलोगोंकेदिलो-दिमागकोकुंदकररहीहै।पहलीलहरकेबादकहांचूकहुई,किससेहुई,अबक्याकरेंकियहस्थितिदोबारानआएआदिसवालजन-विमर्शपरतारीहैं,लेकिनकबतक?क्या70वर्षोंमेंतिल-तिलकरअपनेनौनिहालोंकोबौना/नाटा,कमजोरऔरमरतेदेखहमेंयहसमझआयाथाकिअसलीजनमतकादबावकेवलसरकारकीइसकल्याणकारीभूमिकापरहोनाचाहिए?क्याहमसमझसकेकिसत्ताधारीदलद्वारादीगईसेवाओंमेंकिसीभीकिस्मकीकोताहीउसेअगलीबारठिकानेलगानेकासबसेबड़ामुद्दाहोनाचाहिए?हमधर्म,जाति,उपजाति,भाषा,क्षेत्रकेआधारपरबंटतेरहे।

स्वास्थ्यपरसरकारीखर्चजीडीपीकामात्रएकफीसद

नतीजायहरहाकिस्वास्थ्यपरकुलसरकारीखर्चजीडीपीकामात्रएकप्रतिशतरहा,बाकितीनप्रतिशतहमअपनीजेबसेखर्चकरगरीबीकीगर्तमेंबार-बारगिरतेरहे।इसवर्षके365पृष्ठकेआर्थिक सर्वेक्षण(भाग-2)मेंजहांउद्योगकेलिए42,कृषिकेलिए27औरसततविकासएवंजलवायुकेलिए20पृष्ठसमर्पित थे,वहींस्वास्थ्यसामाजिकअंतरसंरचना,रोजगारऔरमानवविकासशीर्षकवालेअध्यायमेंकेवलचारपृष्ठोंमेंऔरशिक्षाकामुद्दाछहपृष्ठोंमेंसिमटगया।स्वास्थ्यऔरशिक्षाकोसरकारोंद्वारानजरअंदाजकरनेकायहसिलसिलाआजादीकेबादसेहीशुरूहोगयाथा।इसकाकारणसरकारसेज्यादाहमस्वयंरहे।

उप-प्राथमिकस्वास्थ्यकेंद्रोंकीबदहाली

भारतआजादहुआतोतत्कालीननेताओंनेसमानताकायूरोपीयमूल्यअपनाया,जिसमेंहरनागरिककावोटसमानहोताहै,जबकिभारतीयसमाजकईस्तरपरविभाजितथा।यहभारतकेलिएव्यावहारिकनहींथा।आभिजात्यवर्गकेप्रभावकेकारणनीचेकेतबकेनेयातोउदासीनतादिखाईयास्वयंभीधीरेसेअपनारास्तासामाजिकबराबरीकेउचितमार्गकोछोड़करवैयक्तिकस्वतंत्रताकीओरकरलिया।जोसामूहिकशक्तिइनउप-प्राथमिककेंद्रोंमेंसुविधाएंउपलब्धकरानेमेंलगानीथी,वहउसकीजातिकीपार्टीऔरअपनीजातिकेनेतामेंलगगई।नतीजाउप-प्राथमिकस्वास्थ्यकेंद्रोंकीबदहालीकेरूपमेंसामनेआया।

सरकारेंबजटमेंअधिकखर्चकाप्रविधानकरेंतोदेशकीजनताकाबेहतरहोगास्वास्थ्य

सामान्यअवधारणाहैकिसरकारेंअपनेबजटमेंअधिकखर्चकाप्रविधानकरेंतोदेशकीजनताकास्वास्थ्यबेहतरहोगाऔरनौनिहालोंकीशिक्षाअच्छीहोगी।लिहाजाजबकभीचमकीबुखारसेसौ-दौसौबच्चेमरतेहैं,मस्तिष्कज्वरकिसीतराईकेइलाकेमेंसैकड़ोंकोलीलताहैयाकोरोनाकीलहरदेशभरमेंकहरबरसातीहैतोपूरेदेशमेंविशेषज्ञस्वास्थ्यकेमदमेंप्रति-व्यक्तिखर्चकीचीनसेतुलनाकरसरकारोंकीगलतीबतातेहैंऔरजनाक्रोशकुछदिनपरवानचढ़ताहै।

एंबुलेंसकेअभावमेंमहिला बीमारीसेमरेअपनेपतिकोठेलेपरलेकरजातीहै

जबएंबुलेंसकेअभावमेंएकपत्नीबीमारीसेमरेअपनेपतिकोठेलेपरलेकरजातीहैयाआक्सीजनकीकमीसेमरेअपनेबेटेकीलाशपरएकपितादहाड़मारकररोताहैतोजनताटीवीपरउसेदेखकरकुछसमयकेलिएसरकारसेनाराजहोतीहै,लेकिनकुछहीदिनोंमेंसबकुछसामान्यहोजाताहै,क्योंकिहमआदतनसरकारोंकीक्षमताकोइसतराजूपरतौलतेहीनहीं।

स्वास्थ्यऔरशिक्षाप्राथमिकतापरनहीं

इसकाकारणयहनहींहैकिहमस्वास्थ्ययाशिक्षानहींचाहते,बल्कियहहमारीसोचमेंप्राथमिकतापरनहींरहता।राज्यकोहमआजभीपुलिसकेडंडेकीताकतसेनापतेहैं।उसकीकल्याणकारीभूमिकादंडात्मक-शासकीयभूमिकासेबड़ीहै,यहबातआजभीहमारेमन-मस्तिष्कपरअसरनहींडालसकीहै।

जहांप्रतिहजारआबादीडॉक्टरोंकीसंख्याअपेक्षाकृतज्यादाहैवहांबालमृत्युदरकम

स्वास्थ्यसंबंधीअध्ययनोंकीमानेंतोउनराज्योंमेंबालमृत्युदरकमहै,जहांप्रतिहजारआबादीडॉक्टरोंकीसंख्याअपेक्षाकृतज्यादाहै।उदाहरणकेलिएबिहारऔरमध्यप्रदेशमेंकमडॉक्टरहैं,लिहाजाबाल-मृत्युदरज्यादाहै,जबकिकेरल,तमिलनाडुमेंस्थितिठीकउलटीहै।चूंकिभारतमेंनिम्नजातिकेलोगआर्थिक रूपसेभीपिछड़ेहैं,लिहाजास्वास्थ्यसेवाओंकाअभावसबसेज्यादाउन्हेंंप्रभावितकरताहै।

भारतमेंएकहजारलोगोंपरकेवल1.7नर्सेंहैंऔर1404लोगोंपरएकडॉक्टर

इसतथ्यसेभीपरिचितहोनाआवश्यकहैकिभारतमेंएकहजारलोगोंपरकेवल1.7नर्सेंहैंऔर1404लोगोंपरएकडॉक्टर।डब्ल्यूएचओकेपैमानेकेअनुसारनर्सोंकीसंख्यादोगुनीहोनीचाहिएऔरडॉक्टरोंकीडेढ़गुनी।एकअध्ययनकेअनुसारभारतके69,000डॉक्टरऔर56,000नर्सेंअमेरिका,इंग्लैंड,कनाडा,ऑस्ट्रेलियाआदिदेशोंमेंसेवाएंदेरहीहैं।क्याउन्हेंंबेहतरसेवाशर्तोंकेसाथवापसनहींबुलायाजासकता?सवालयहभीहैकितमामस्वास्थ्यकर्मीसंविदापरक्योंनियुक्तकिएजातेहैं?

निम्नआयवर्गमेंमरनेवालोंकीसंख्याअधिक

राष्ट्रीयपरिवारस्वास्थ्यसर्वेमेंबतायागयाएकएककटुसत्यदेखें-पांचसालकीआयुसेकममेंहीमरनेवालेबच्चोंकाप्रतिशतअनुसूचितजाति(एससी)वर्गमें55.9है,अनुसूचितजनजाति(एसटी)में57.2,अन्यपिछड़ावर्ग(ओबीसी)में50.9,लेकिनअन्य(यानीउच्चजातिवर्गमें)38.5प्रतिशतहै।आर्थिक रूपसेबनाएगएपांचआयवर्गोंमेंदेखाजाएतोसबसेनिम्नआयवर्गमेंयहप्रतिशत71.7है,जबकिसबसेऊपरकेआयवर्गमेंयहमात्र22.6प्रतिशतहै।

सरकारसेस्वास्थ्यढांचेपरखर्चबढ़ानेकीमांग

ऐसेमेंसवालकोरोनाकीतीसरीलहरमेंकेवलसरकारसेस्वास्थ्यढांचेपरखर्चबढ़ानेकीमांगकीहीनहीं,बल्किजोसेवाएंहैंउन्हेंंसरकारीकर्मियोंकेभ्रष्टाचार,लापरवाहीकाशिकारनबननेदेनेकीभीहै।

(लेखकवरिष्ठपत्रकारएवंस्तंभकारहैं)