हालांकि जिला एपिडेमोलॉजिस्ट डॉ. मनीष अरोड़ा का कहना है कि जो मरीज पॉजिटिव आया है, उसके पिता के अनुसार वह डाउन सिड्रोम का मरीज है, इस समय घर में क्वारंटाइन है, वह घर से बाहर कहीं जा ही नहीं सकता है, ऐसे में अस्पताल में कैसे जा सकता है। जबकि उसी क्षेत्र के लोगों को कहना है कि बीमार होने से पहले युवक घर के निकलता था, डाउन सिन्ड्रोम का मरीज जरूर है, लेकिन आता जाता है। लोगों से बातें भी करता है। एक दिन पहले बुखार तेज होने पर वह मां के साथ निजी अस्पताल में दवा लेने गया था, उसकी हालत देखकर वहां उसे ड्रिप दी गई, करीब तीन घंटे निजी हॉस्पिटल में रहा। सुरक्षा इंतजाम अपनाने के बजाय अस्पताल जाने की पूरी बात को ही दबा दिया गया, जबकि सूत्रों का कहना है कि अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे खंगाले जाएं तो सच्चाई सामने आ सकती है।

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जागरणब्यूरो,नईदिल्ली। सरकारनेनौकरीमेंकार्यकेदौरानकामगारोंकीसुरक्षा,स्वास्थ्यएवंकार्यदशाओंकोसुनिश्चितकरनेवाले13केंद्रीयश्

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