चुनाव में कांग्रेस की बुरी गति की बड़ी वजह यह भी रही कि पार्टी का संगठनात्मक ढांचा कहीं नजर नहीं आया। पार्टी का अपना कोई चुनावी कार्यालय नहीं था और न ही पार्टी कार्यालय है। कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप शर्मा को नामांकन की अंतिम तिथि से ठीक पहले टिकट मिला। इसके बाद ही स्थानीय नेताओं ने कुछ एकजुटता दिखाई। इससे पहले चुनाव के लिए कहीं पर कोई मीटिग या सभा नहीं हुई। वर्करों को एकजुट नहीं किया गया। नतीजा यह रहा कि मतदान के दिन भी कई पोलिग सेंटर के बाहर कार्यकर्ता नहीं दिखे तो केंद्र के अंदर उनके एजेंट भी नहीं थे। कांग्रेस बिना तैयारी के चुनाव में उतरी। बूथ वर्करों पर ध्यान नहीं देने से चुनाव पर पकड़ बेहद कमजोर रही। अब करीब चार महीने बाद विधानसभा चुनाव है। पार्टी को जिला कार्यकारिणी के साथ ही ब्लाक स्तर पर भी संगठनात्मक ढांचा खड़ा करना होगा।

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नईदिल्ली,24सितंबर।भारतमेंसेक्सयाउससेसंबंधितबीमारियोंकेबारेमेंजाननेकेलिएयुवाओंकोगूगलकासहारालेनापड़ताहै।लोगक्याकहेंगे,इसडर